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बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

453......आदमी एकम आदमी हो और आदमी दूना भगवान हो

सादर अभिवादन
आज प्रस्तुति बनाने की तनिक भी इच्छा नहीं थी
पर आदत से मज़बूर कहिए या फिर
कर्तव्य पथ.... चलना ही होगा
आज की पढ़ी रचनाओं का ज़ायजा लीजिए.....

पहली बार....
राम की तुलना में रावण का एपिकीय चरित्र बौद्धिक-नैतिक आधार पर राम के एपिकीय चरित्र से श्रेष्ठतर है जो बहन का अंगभंग करने वाले से बदला लेने के लिए उसकी बीबी का अपहरण कर लेता है और फाइव-स्टार गेस्टहाउस में रखता है और कभी बल प्रयोग नहीं करता.


कल इस रचना के भाई कुलदीप जी प्रस्तुत कर चुके हैं
आज एक बार और..
दुःशाशन दुर्योधन शकुनि 
न टिक पाएं !
झूठ की हांडी बारम्बार 
न चढ़ पाए,
बरसों से अक्षुण्ण रहा 
था, दुनियां में ,
भारत आविर्भाव, 
कलंकित कर दोगे  !!
भारत रत्न मिले, तुमको मक्कारी में 
कितने धूर्त महान, तुम 
मुझे क्या दोगे ?

रावण रो रहा है....जन्मेजय तिवारी
‘बात और भी है ।’ उसके आँसू अब भी झरे जा रहे थे, बल्कि अब तो कुछ तेज ही हो गए थे । वह इसी अवस्था में बढ़ते हुए बोला, ‘माँ सीता का अपहरण करके मैंने निश्चय ही अपराध किया था, परंतु उसके बाद मैंने किसी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया था । पर आज का मनुष्य अपहरण तो करता ही है, साथ ही साथ सारी मर्यादाओं की चिन्दी-चिन्दी भी कर डालता है । क्या यह मेरा काम है? अगर नहीं, तो फिर मेरे नाम के साथ आरोपण क्यों?’



यही होता है दशहरे में हर साल,
हर साल जलते हैं कागज़ के पुतले,
फूटते हैं पटाखे,
कभी किसी दशहरे में 
यह ख़याल ही नहीं आता  
कि असली रावण,कुम्भकर्ण,मेघनाद 
हमारे अन्दर ही कहीं छुपे हैं,
जो हर साल दशहरे में
बच जाते हैं जलने से. 

गर कुछ लेहाज बाकी तो पहले निज घर की बिगड़ी तस्वीर संवार
तेरी व्यर्थ कोशिशें काश्मीरियों लिए शाख़ की ढहती दीवार निहार ,


आज की शीर्षक रचना...
गजल हों 
कविताएं हों 
चाँद हो 
तारे हों 
संगीत हो 
प्यार हो 
मनुहार हो 
इश्क हो 
मुहब्बत हो 
अच्छा है 
....
आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलेंगे मन से मन भर




6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात छोटी बहना
    आपकी कर्तव्यनिष्ठा आपकी पहचान है
    उम्दा प्रस्तुतिकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी । आभार 'उलूक' के सूत्र 'आदमी एकम आदमी हो और आदमी दूना भगवान हो'को स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात दीदी
    आपकी चयनित सभी रचनाएँ
    बहुत सुंदर
    सादर
    ज्ञान द्रष्टा

    जवाब देंहटाएं
  4. रावण, कुम्भकरण और मेघनाद तो हर साल फूँक दिए जाते हैं पर विभीषणों को हर बार पोषित किया जाता है . अपनी ही नगरी को जलाने वालों का साथ देकर विभीषण उन्नति के शिखर पर पहुँच जाता है. यह कैसा सुखांत नाटक है?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही कह रहे है आप भैय्या गोपेश जी
      विभीषणों के जरिए सूचनाओं का प्रदाय ही होता है
      सादर

      हटाएं
  5. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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