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शनिवार, 9 सितंबर 2017

785... संस्मरण


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष


पितृपक्ष को हम क्यूँ साधने बनाते और करते हैं अपनों का




उन दिनों हरियाणा में अंग्रेजी भाषा स्कूलों में छठी कक्षा से पढाई जाती थी -- 
एक ये भी कारण था कि बच्चे बोर्ड की क्लास में पहुँचकर भी अंग्रेजी में प्रायः बहुत अच्छे नहीं होते थे |
श्री मति महाजन को बखूबी पता था कि हमारी अंग्रेजी भाषा की नींव अच्छी नहीं है 
अतः उन्होंने भाषा के समस्त नियम समझाकर हमें भाषा में पारंगत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी  |
वे अक्सर रविवार या किसी अन्य छुट्टी के दिन भी हमें अंग्रेजी पढ़ाने हमारे स्कूल पहुँच जाया करती !
यहाँ तक कि दिसंबर महीने में जब सर्दकालीन अवकाश घोषित हुए 
तो उन्होंने हमारी कक्षा में आकर कहा कि वे अवकाश के दौरान भी हमें पढ़ने आया करेंगी,
क्योंकि वे हमारे सलेबस की दुहराई करवाना चाहती हैं |




इस कविता संग्रह का आवरण आज के हिंदी के समर्थ कथाकार और 
चित्रकार राजकमल ने बनाया था, तब वह अपना नाम 
'राजकमल भारती' लिखा करते थे।
इस कविता संग्रह में उनका भी नाम गया।






हम अक्सर काफी जगहों में जाते हैं , और वहां के भिन्न-भिन्न अनुभव साथ लाते हैं , 
कुछ यादें अच्छी होती है कुछ बुरी, कुछ प्रेरणादायी और कुछ अनोखी... 
पिछले रोज मैं अपने एक रिस्तेदार के यहाँ शादी के अवसर पर गया था 
वहाँ उस परिवार को करीब से अनुभाव करने का मौका प्राप्त हुआ 
और पता चला की शादी एक बड़ी जिम्मेदारी होती  है हम सब के लिए ...





उसके इंगित दिशा की ओर मैंने देखा तो होटल से 
कुछ ही दूरी पर सड़क किनारे एक टूटा हुआ झोपड़ा दिखाई पड़ा।
 झोपड़े के आस - पास कनेर के पुष्प की क्यारियाँ थी।
 इतना सब देखने और जानने के बाद
 ना कहने का कोई कारण नहीं था।





गुजर गए अपनों की स्मृतियों को याद करके सोचता हूँ कितना सूनापन है उनके बिना । 
घर की उनकी संजोई हर चीज को जब छूता हूँ तब 
उनके जिवंतता का अहसास होने लगता डबडबाई 
आँखों /भरे मन से एलबम के पन्ने उलटता तब 
जीवन में उनके संग होने का आभास होता है 
उनकी बात निकलने पर अच्छाईयाँ मानस पटल पर 
स्मृतियों में उर्जा भरने लगती है कहते है स्मृतियाँ अमर है 
लेकिन यादों की उर्जा पर इसलिए कहा गया है 
कि करोगें याद तो हर बात याद आएगी ।



><><


फिर मिलेंगे





8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    एक विषयेक प्रस्तुति के महारथी
    संस्मरण..
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात एवं प्रणाम दीदी। साहित्य में संस्मरण विधा का अपना खासा महत्व है। आत्मीयता, विषय पर अंतरंग बातचीत, व्यक्तित्व का आकलन, विभिन्न विषयों पर वैचारिक मंथन क्या-क्या नहीं हमें समझने को मिलता है संस्मरण से। आज की इस विशेष प्रस्तुति के लिए आपका दिल से आभार आदरणीय दीदी। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं

  3. सुप्रभात
    एक विषय पर आधारित प्रस्तुति बहुत बढिया..
    सभी चयनित रचनाओं को बधाई।आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी संस्मरण विषयक हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. सभी बेहतरीन संस्मरण । साझा करने हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय दीदी , सादर सस्नेह प्रणाम | आज के विशेष लिंकों का संकलन पढ़ा | बहुत ही बेहतरीन लगा | हर रोज जहाँ पद्य की प्रधानता रहती थी आज गद्य की विशेष विधा का बोलबाला रहा | सचमुच आज रेखाचित्र , संस्मरण यात्रा संस्मरण आदि कम लिखे जाते है - फिर भी आपका चयन बहुत ही मर्मस्पर्शी रहा | यादें इन्सान की अनमोल पूंजी होती है जब ये कागज पर उतरती हैं तो कालजयी बन जाती हैं | सभी रचनाकारों के ब्लॉग पर टिप्पणी हो गयी पर आदरणीय सुभाष जी के अनमोल संस्मरण पर लिखना संभव ना हो पाया अतः उन्हें यहीं से शुभकामना प्रेषित करती हूँ | बहुत रोचक है उनका सचित्र संस्मरण | सभी रचनाकारों और पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं आभार | मेरी रचना को स्थान देने के लिए कोटिश धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

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